भारतीय सेना में शौर्य और वीरता का परिचय हमें हमारे देश के वीर सैनिकों के साथ मिलता है, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश की रक्षा के लिए अद्वितीय पराक्रम प्रकट किया है। इनमें से एक ऐसा नाम है, मेजर सोमनाथ शर्मा, जो भारत के पहले परमवीर चक्र विजेता बने। उनकी अद्वितीय कहानी हमें भारतीय सेना के शौर्य और वीरता का प्रतीक है।
बालीसम्बात की भूमि:
मेजर सोमनाथ शर्मा का जन्म 31 जनवरी, १९२३ को हुआ था, जो एक छोटे से गाँव बालीसम्बात में हुआ था। उनका बचपन और जीवन कठिनाईयों से भरा रहा, लेकिन उनमें वीरता की भावना हमेशा से ही बनी रही।
युद्ध क्षेत्र में प्रवेश:
मेजर सोमनाथ शर्मा ने विभिन्न युद्ध क्षेत्रों में अपनी साहसपूर्ण सेवाएं दीं, जिनमें कई अद्भुत कारगर ऑपरेशन्स शामिल थे। उन्होंने भारत-पाकिस्तान युद्ध १९४७, भारत-चीन युद्ध १९६२, भारत-पाकिस्तान युद्ध १९६५ और भारत-पाकिस्तान युद्ध १९७१ में अपने साहसपूर्ण कार्यों के लिए प्रमुख बने।
परमवीर चक्र से सम्मानित:
मेजर सोमनाथ शर्मा का सबसे अद्वितीय क्षण १० दिसंबर, १९७१ को आया, जब उन्होंने भारत-पाक युद्ध के दौरान जैसलमेर सेक्टर में एक कृत्रिम गड़बड़ी में अपनी जान की प्रतिज्ञा की।
उनकी कमाल की साहसपूर्णता और निश्चयनिष्ठा ने उन्हें परमवीर चक्र से सम्मानित किया। उनकी शौर्य भरी कड़ी में विराजमान एक ब्रावो सैनिक की तरह, मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपने देशवासियों को गर्वित कर दिया।
उपसंपर्क और योगदान:
मेजर सोमनाथ शर्मा ने अपने सेवानिवृत्ति के बाद भी समाज के लिए सेवा करना जारी रखा और विभिन्न समाज सेवा कार्यों में योगदान दिया। उनकी वीरता, समर्पण, और सेवा भावना ने उन्हें देशवासियों के दिलों में स्थान बनाए रखा है।